अब तो ज़िन्दगी भी मुझे
मेरे हाल से पहचानती हैअफ़सोस! मेरे आईने ने
मेरा चेहरा भुला दिया
जहाँ सजते-उजड़ते रहे
कई मेले रिश्तों के
मैंने भी अपनी यादों का
एक कुनबा बसा दिया
लहरें भी नहीं आतीं
इस दिल के समंदर में
मैंने हाथों से ही अपने
रेत पर लिखा मिटा दिया
तेरे बगैर जीने का
जो वादा किया मैंने
झूठी मुस्कानें आज़ाद हैं
अश्कों पे ताला लगा दिया।
जो वादा किया मैंने
जवाब देंहटाएंझूठी मुस्कानें आज़ाद हैं
अश्कों पे ताला लगा दिया।
..........वाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं
इस स्नेह हेतु आभार।
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