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शनिवार, 8 जून 2013

बूँदों की बारात

दूर गगन से आई देखो 

बूँदों की बारात
अवनि का अंतर धुला
धुल गयी है रात।

निर्झर सा बहने लगा
जीवन का संगीत
गलबाहीं वृक्षों ने डाली
चहुँओर है प्रीत।

पुलकित हुई नयनों की ज्योति
हर्षित मन का मोर हुआ
नृत्य कर रहीं फूल-पत्तियाँ
रिमझिम रिमझिम शोर हुआ।

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