एक कहानी सुनाता हूँ
जो आँखों की बयानी है,
वो कुर्सी जो बैठी है
हुकूमत की निशानी है।
राजा की तरह उसपर
जो इंसान है बैठा,
गलतफहमी में रहता है
कि भगवान है बैठा।
जी हुज़ूरी की यहाँ
वो सरकार चलाता है,
है धोखे में पड़ा
कि संसार चलाता है।
अमीरों की है सुनता
बस पैसा उगाता है,
ज़मीनें बंजर हो रहीं, देखो
किसान फंदा लगाता है।
स्नेह के लिए आभार
जवाब देंहटाएंसादर...
आभार कुलदीप जी
जवाब देंहटाएंआते रहिये
सादर...
आभार कुलदीप जी
जवाब देंहटाएंआते रहिये
सादर...
अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर....आपकी रचनाएं पढकर और आपकी भवनाओं से जुडकर....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संजय जी
हटाएंआते रहिये
सादर...
धन्यवाद संजय जी
हटाएंआते रहिये
सादर...