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मंगलवार, 23 फ़रवरी 2016

बसंत आने वाला है

पतझड़ नीरस नहीं है
पतझड़ बेकार नहीं है
बसंत भी आता है
पतझड़ ही तो हर बार नहीं है

पतझड़ कहता है -
मैं पारदर्शी हूँ
तुम भी पारदर्शी कहलाओ
जो तुम्हारे अंदर है
वही बाहर भी दिखे
ऐसी छवि बनाओ

पतझड़ कहता है -
तैयारियाँ करो स्वागत की
बसंत आने वाला है
मैं जा रहा हूँ
मेरा अंत आने वाला है

होने वाली है सुबह
देखो नया कल आने वाला है।

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